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एक चेहरा


लोगों से भी बहुत सुना है, खुद भी परखकर जाना है,

मुझे तुम्हें दुनिया का आज, एक अनुपम दृश्य दिखाना है।

सैरा मैथ्यू नाम, वो ज़िंदा कर देती थीं ख़ाबों को,

अपने पन्नों पर उनको लिख, खुद होता गर्व किताबों को।

वो कहती थीं, दृड़ निश्चय से ही,

कल का उदय सुनहरा होगा,

दुनिया में उनके जैसा,

शायद ही फिर कोई चेहरा होगा।



कल जब अपने एक गुरु का, साक्षात्कार लिया मैंने,

उनके शब्दों में मैथ्यू मैम की, उपस्थिती को जिया मैंने।

“मैं तो उस दिन किसी कार्यवश दिल्ली शहर में आया था,

पर नियती ने तो मेरे लिए, कुछ और उपाय बनाया था।“

“उस शक्स से मुझे मिलाया जिसने, वक्त ही मेरा बदल दिया,

मानो सूरज कि किरणों ने, कोई शून्य सवेरा बदल दिया।

मुझे अपने स्कूल का कार्य सौंप, दी घर की जिम्मेदारी भी,

मैं बस चालक का साथी था, करता था पहरेदारी भी।

अपने सपनों में बनाया उन्होंने, उतना ही हिस्सेदार मुझे,

अपने बेटे की तरह ही माँ, करती थीं हमेशा प्यार मुझे।

हम दोनों के ऱिश्ते-सा,

नहीं कोई रिश्ता गहरा होगा,

दुनिया में उनके जैसा,

शायद ही फिर कोई चेहरा होगा।



प्रयोगशाला सहायक बनाया, फिर कुछ वर्षों के बाद मुझे,

शुरू से लेकर अंत तक उनकी, हर एक बात है याद मुझे।

मेरी बहन के विवाह में साथ दिया, करवाया ग्रस में इलाज मेरा,

उनके ‘कल’ किये प्रयत्नों का ही, परिणाम है जीवन ‘आज’ मेरा।

अपने घर का सदस्य बना, हर खुशी में शामिल किया मुझे,

एक कर्मचारी होने के बाद भी, घर जैसा आलम दिया मुझे।

मुझे जन्म भले मेरी माँ ने दिया, पर जीवन उनको अर्पण है,

आज विश्वभर में सेंट मैरीस, उनके सपनों का ही दर्पण है।

वे सबको प्रोत्साहन देती थीं, किया नहीं कभी कोई गिला,

मुझे भी अंतिम वक्त में उनकी, सेवा का सौभाग्य मिला।

मेरे दरवाजे की खुशियों पर,

हरदम उनका पहरा होगा,”

दुनिया में उनके जैसा,

शायद ही फिर कोई चेहरा होगा।


उनकी बातों से स्पष्ट है कि हम कितने किस्मत वाले हैं,

हम जैसे कितने नन्हे द्रुम इस फुलवारी ने पाले हैं।

कितनी ही ज़िंदगियाँ बदली हैं, कितनों को मिला है सहारा यहाँ,

मैडम मैथ्यू से उदार लोग, आते हैं फिर से दोबारा कहाँ।

सपनों को हकीकत करने में, मत देखो कितनी दूरी है,

बस याद रखो कि मन में हौंसला, असीम, अपार जरूरी है।

उनकी छाया भी देख सके, हम सब रब के आभारी हैं,

उनके कथनों से मन में आज भी, उठती एक चिंगारी है।

“जब खुद रौशन हो जाओगे,

तो कैसे कहीं अँधेरा होगा?”

दुनिया में उनके जैसा,

शायद ही फिर कोई चेहरा होगा।

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